नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने एक नन से बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलाक्कल की आरोप मुक्त करने की याचिका बुधवार को खारिज करते हुए इस मुकदमे का सामना करने का निर्देश दिया। इस बिशप पर नन ने बलात्कार का आरोप लगाया है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने बिशप के वकील से कहा कि न्यायालय इस मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है, लेकिन आरोप मुक्त करने के मुद्दे पर ही याचिका खारिज की जा रही है।
Bishop’s petition accused of raping nuns dismissed
New Delhi. The Supreme Court on Wednesday rejected the plea of acquittal of Bishop Franco Mulakkal, accused of raping a nun, to face the trial. This bishop has been accused of rape by a nun. A bench of Chief Justice SA Bobde, Justice AS Bopanna and Justice V. Ramasubramanian told the Bishop’s counsel that the court was not commenting on the merits of the case, but the petition was being dismissed only on the issue of acquittal is.
मुलाक्कल ने इस याचिका में केरल उच्च न्यायालय के सात जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें बलात्कार के इस मामले में आरोप मुक्त करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गयी थी।
बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार और धमकाने के आरोप
उच्च न्यायालय ने जालंधर डायोसिस के अपदस्थ बिशप को बलात्कार के मामले में मुकदमे का सामना करने के लिए कहा था। बिशप के खिलाफ केरल में डायोसिस की नन ने जून, 2018 में शिकायत की थी।
इसमें आरोप लगाया गया था कि बिशप ने 2014 से 2016 के दौरान उसका यौन शोषण किया। नन की इसी शिकायत के अधार पर बिशप के खिलाफ कोट्टायम जिले में बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था।
इस मामले की जांच करने वाले विशेष जांच दल ने बिशप को गिरफ्तार भी किया था। बिशप पर बलपूर्वक नन को रोकने, बलात्कार करने, अप्राकृतिक यौनाचार करने और धमकाने के आरोप लगाये थे।
हाईकोर्ट पहले ही खारिज कर चुका था याचिका
इससे पहले केरल उच्च न्यायालय ने बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलाक्कल को बरी करने की याचिका को खारिज कर दिया था। बिशप फ्रैंको मुलाक्कल एक नन के यौन शोषण के मामले में आरोपी है।
उच्च न्यायालय ने बिशप की याचिका खारिज करते हुए अभियोजन के इस तर्क को स्वीकार किया था कि मुलाक्कल के खिलाफ पहली नजर में बलात्कार का मामला बनता है। न्यायमूर्ति वी. शिरसी ने जालंधर क्षेत्र के बिशप को निर्देश दिया कि बलात्कार मामले में वह सुनवाई का सामना करे। केरल में उसी क्षेत्र की एक नन ने उसके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया था।